Dedicated#माँ❤️
क्या ही लिखूँ तुम्हारे लिए,
इस कलम में इतनी ताकत कहाँ?
कि बोल सके तुमने जो है काम किए।
पर फिर भी कोशिश कर लेता हूं,
यादों को ताजा कर देता हूं।
उंगली पकड़ के चलना सिखाया,
जब भी गिरा संभलना सिखाया।
पैरों पर मैं कब मैं खड़ा हुआ,
जाने कब मैं इतना बड़ा हुआ।
जब–जब याद तुम्हारी आती है,
दिल में तस्वीर तुम्हारी बन जाती है।
इक मुस्कान सी यूं आ जाती है,
उम्मीद सी इक जग जाती है।
रोज पूछती हो कब आओगे?
माँ को अपनी कितना तड़पाओगे?
कहकर बात तो ये टाल देता हूं,
कि तुमको प्यार नही मैं करता हूं।
सुनकर वो खुश हो जाती है,
यही तो रिश्ता है मां का,
हर एक झूठ समझ जो जाती है।।।
–आकाश!!
Absolutely Rt.. Maa jaisa koi aur ho hi nahi sakta..
ReplyDeleteYour pen speaks truth.. Dear Mom
I Tried✍️❣️❣️
DeleteIt's extraordinary
ReplyDeleteEvery line of the stanza is heart touching.